आप बाबा रामदेव से डर क्यों रहे हैं? जनतंत्र में सबको अपनी बात कहने का अधिकार है. जब आप नक्सलियों की क्रूर हिंसा की खुली आलोचना करने से परहेज़ करते हैं तो बाबा रामदेव के संविधान सम्मत जनान्दोलन से क्यों भयभीत हो रहे हैं. वामपंथी देश का नेतृत्व करने में सदा असफल रहे हैं. इसलिए जब भी कोई नई शक्ति उभरती है तो वे उसकी अंधी आलोचना आरंभ कर देते हैं. आप भी उसी ग्रंथि से ग्रस्त प्रतीत होते हैं.
कांग्रेस, कम्युनिस्ट, भाजपा और सभी जातीय दलों के लिए राजनीति पेशा है. इन पार्टियों के नेताओं के लिए यह रोजी-रोटी का साधन है. सभी को जनता ने कमोबेस कई बार मौका दिया है. सब यथास्थिति में विश्वास करते हैं, क्योंकि यह उन्हें सूट करती है. जनता की मूल समस्या आयातित संविधान और इंडिया की अवधारणा है. रामदेव बाबा जैसे स्वदेशी विचारधारा के निःस्वार्थ लोगों को एकजूट हो राजनीति की बागडोर संभालनी ही होगी, तभी भारत का कल्याण हो सकता है.वामपंथियों को हकीकत तब समझ में आती है, जब भारत में परिवर्तन हो जाता है. वे न सुभाष को समझ पाए, न गांधी को; न जेपी को समझ पाए न राम को. बाबा रामदेव के साथ वही गलती दुहराने पर आमादा हैं. कुछ वर्ष पूर्व बिन्दा करात द्वारा बाबा रामदेव की बेवकूफ़ी भरी आलोचना इसका पूर्वाभ्यास था. आपके नामधारी प्रभु वामपंथियों को सद्बुद्धि दे!
जय-हिन्द जय भारत
कांग्रेस, कम्युनिस्ट, भाजपा और सभी जातीय दलों के लिए राजनीति पेशा है. इन पार्टियों के नेताओं के लिए यह रोजी-रोटी का साधन है. सभी को जनता ने कमोबेस कई बार मौका दिया है. सब यथास्थिति में विश्वास करते हैं, क्योंकि यह उन्हें सूट करती है. जनता की मूल समस्या आयातित संविधान और इंडिया की अवधारणा है. रामदेव बाबा जैसे स्वदेशी विचारधारा के निःस्वार्थ लोगों को एकजूट हो राजनीति की बागडोर संभालनी ही होगी, तभी भारत का कल्याण हो सकता है.वामपंथियों को हकीकत तब समझ में आती है, जब भारत में परिवर्तन हो जाता है. वे न सुभाष को समझ पाए, न गांधी को; न जेपी को समझ पाए न राम को. बाबा रामदेव के साथ वही गलती दुहराने पर आमादा हैं. कुछ वर्ष पूर्व बिन्दा करात द्वारा बाबा रामदेव की बेवकूफ़ी भरी आलोचना इसका पूर्वाभ्यास था. आपके नामधारी प्रभु वामपंथियों को सद्बुद्धि दे!
जय-हिन्द जय भारत
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