Saturday, March 19, 2011

सपरिवार होली की शुभ कामनाएं ....

 साजिशें लगाती जिस शहर में हों गुलाल ,. 
उस शहर का  नागरिक होने का मलाल है.
उनके दिल काले और हाथों में गुलाल है, 
यह हादसा देख कर मुझको मलाल है.
ये बाज़ार के रंग तो दो दिन का तमासा हैं,  
मेरे दिल पर रंग अपना चढाओ तो कोई बात बने.
दिल है बदरंग, दिमाग है तंग पर हाथ मै है रंग,
इन रंगरेजों के रिश्ते रूहानी नहीं जिस्मानी हैं .

सुबह रंग डालो शाम को गले मिलो, 
पीठ में छुरा कल भोंक लेना .
अगर इससे खुश हो तो बधाई तुम्हें, 
वरना पश्चाताप के आंसू पोंछ लेना. 

प्रस्तुत कर्ता
जय हिंद  
दिनांक १९-०३-2011  

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