एक अजीब हकीकत:
10 रुपए का नोट बहुत ज्यादा लगता है जब " गरीब को देना हो "
मगर होटल में बैठे हो तो 1000 भी बहुत कम लगता है, ३ मिनट इश्वर को याद करना बहुत
मुश्किल है, पर ३ घंटे की फिल्म देखना बहुत आसान, पूरे दिन मेहनत क बाद gym
जाना नही थकता पर जब अपने ही "माँ- बाप" के पैर दबाने हो तो तंग हो जाते है,
इस मेसेज को फॉरवर्ड करना बहुत मुश्किल होता है, जब की फ़िज़ूल जोक्स को फॉरवर्ड
करना हमारा फ़र्ज़ बन जाता है
10 रुपए का नोट बहुत ज्यादा लगता है जब " गरीब को देना हो "
मगर होटल में बैठे हो तो 1000 भी बहुत कम लगता है, ३ मिनट इश्वर को याद करना बहुत
मुश्किल है, पर ३ घंटे की फिल्म देखना बहुत आसान, पूरे दिन मेहनत क बाद gym
जाना नही थकता पर जब अपने ही "माँ- बाप" के पैर दबाने हो तो तंग हो जाते है,
इस मेसेज को फॉरवर्ड करना बहुत मुश्किल होता है, जब की फ़िज़ूल जोक्स को फॉरवर्ड
करना हमारा फ़र्ज़ बन जाता है
जय हिंद
दिनांक -२०-११-२०११
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