Saturday, August 16, 2014

ऋषि धोम की नगरी जिसका नाम इटावा आज


एक नगर है ऐसा जिसकी गाथा बहुत बड़ी है,
यमुना चरण पखारे जिसका मुकुट हनुमान गढ़ी है,
ऋषि धोम की नगरी जिसका नाम इटावा आज,
यहाँ बह रही कलकल यमुना शम्भू करे निवास,
दुष्ट डालो के दंभ को तोडा और सती कहलाई,
निज भक्तो की रक्षा करती माता काली आई,
चहू दिसा जय घोष हो रहा जय हो पिलुआ वाले,
महावीर की महा कृपा ने लाखो संकट टाले,
राधा वल्लभ के मंदिर मैं रमे द्वारिका धीस,
जिन के श्री चरणों मै झुकते हम भक्तो के शीश,
धर्म रक्षा को तेग बहादुर जी जहा स्वम पधारे,
उसी जगह पर बने हुए है मेरे प्रिय गुरूद्वारे,
नसिया जी पर सत्य अहिंसा का होता उद्घोस,
ढाई आखर प्रेम ज्ञान और मानवता का शोध,
रोम रोम मै कूट के भर दी चम्बल ने खुद्दारी,
वलिदानो वीरो की जननी धरती उदी अवारी,
गंग देव शिशु नीरज बल्लभ गंग हरी की आस,
ज्ञानी ध्यानी जन के मन मैं सरस्वती का वास,
जय-हिन्द

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