Sunday, May 8, 2011

माँ कैसे कर्ज चुकाऊँ..

4:13am May 8

माँ कैसे कर्ज चुकाऊँ
दूध तेरा मेरी रग रग में
कैसे भूल जाऊं !
तेरी व्याधि हर ल़ू मै या जीवन औषधि बन जाऊं
मैं कैसे कर्ज चुकाऊँ !!
सूख रही हैं जड़े तरु की जिसका म्रदुल फल हूँ मैं
नीर भरी बदरी बन बरसूं या जमीं की सिंचन बन जाऊं !
आग उगलते सूरज को
कैसे ज्योत दिखाऊँ
माँ कैसे कर्ज चुकाऊँ!!
कतरा कतरा घटता बदन तेरा ,निस्तेज होता वदन तेरा
जीर्ण शीर्ण अस्थि पिंजर में
प्राण कंहा से लाऊँ
माँ कैसे कर्ज चुकाऊँ !!
सूरज जो उदय हुआ ,अस्त भी होना है
पाया जीवन में जो, कभी तो खोना है
इस आवागमन के कटु जहर को
कैसे आज पचाऊँ
तेरे जीवन का अंतिम तीरथ
कैसे सहज बनाऊं
माँ कैसे कर्ज चुकाऊँ !!
08-05-2011

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